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सोमवार, 2 अगस्त 2010


कल नाशिक से गोवा मंगला एक्सप्रेस से लौट रहा था 2nd एसी में रिज़र्ववेशन था मेरे कंपार्टमेंट में दिल्ली के चार-पांच लड़के और एक लड़की बैठी हुई थी मैं ऊपर की सीट पर सोने चला गया लड़के अपने हिसाब से टाईम-पास करने लगे वे दिल्ली के थे और उडूपी में ईंजिनियरिंग पढ़ रहे थे सभी के पास लैपटाप थे और वे उसमें मूवी देखने में व्यस्त थे उनकी बातचीत मेरे कानों में पड़ रही थी उनकी बातचीत में जो मुद्दे रहे थे वो बड़े अचंभित कर देने वाले थे उनकी उम्र मुश्किल से 20-21 साल ही रही होगी पर बातें ब्याय-फ्रेंड,गर्ल-फ्रेंड आदि पर केंद्रित थी उनमें से एक लड़का अपनी क्लास के एक्सपीरिय़ंस बता रहा था वो कहने लगा कि एक बार क्लास में लेक्चरर ने किसी लड़के को डांट दिया इस पर वो लड़का और उसके दोस्त उस लैक्चरर से बहस करने लगे आखिर में लड़का चिढ़कर लैक्चरर से कहा _यु आर गे...!! अब गुरुकुल संस्कृति का हवाला ना भी दें तो आज के छात्र अपने शिक्षक को गे अर्थात समलैंगिक जैसी भद्दी और अपमानजनक गाली देने से नहीं चूक रहे हैं लैपटाप इन बच्चों को पढ़ाई और रिसर्च के नाम पर दिए जाते हैं पर वे लोग इस पर किस प्रकार की मूवियां देख रहे थे यह बताने की जरुरत नहीं उन लड़कों के बगल में उनके दो सिनियर्स अर्थात एक लड़का और लड़की बैठे थे गाड़ी एक स्टेशन पर खड़ी हो गई तो वे दोनों बाहर जाकर सिगरेट फूंकने लगे लड़की सेल पर अपने डैड से बात कर रही थी और इधर अपने व्याय-फ्रेंड के सिगरेट के धूंए से लहांलोट हो रही थी अब यह सोचने का विषय है कि आधुनिकता के नाम पर नई पीढ़ि किस दिशा में जा रही जहां नैतिक मूल्यों की कोई जगह नहीं पूरी शिक्षा व्यवस्था डोनेशन पर आधारित रट्न्तु विद्या पर आधारित है अपने पैसे,अंग्रेज़ी से दूसरों पर रोब झाड़ने वाली पीढ़ि अगर हम पैदा नहीं कर रहे हैं तो ओर क्या कर रहे हैं॥!! लैपटाप पर ब्लु फिल्म देखती, अपने शिक्षको को गे बताती, सिगरेट के धुंएं में भविष्य तलाशती मैकडोनाल्ड छाप इस पीढ़ि का भविष्य तो भगवान ही जाने कि क्या है??